ओकर जित आ हमर हार भ’गेल
ओकरे आगू ई जिनगी बेकार भ’गेल ।
उमंग भरल ओ कोमल जवानी
सबहक ललचाबेवाला व्यापार भ’गेल ।
ओकरा की पता हमर ई जिनगी
केहन केहन अजिब समाचार भ’गेल ।
साँचो हम एहि बातसँ खुसी छी
जे ओकर चाहल हर बात बजार भ’गेल ।
अखनो ई ‘अरुण’ जात्री भ’ संसार घुमै छै
किएक त ई मोन सेहो जरिक राख भ’गेल ।

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